Saturday, September 18, 2010

आज का ट्रैफिक

मैं जब कभी
निकलता हूँ सड़क पर 
अपनी पुरानी स्कूटर पर बैठ
आगे पीछे से आने वाले
चार पहिये वाले चलते हैं ऐसे 
जैसे करके चले हों साजिश
घर से ही, मेरे खिलाफ
आज नहीं छोड़ना है
कुचल डालना है
जान साँसत में रहती है
सार्थक लगता है
हनुमान चालीसा और
गायत्री मंत्र का जाप
जब पहुच जाता हूँ
सकुशल गंतब्य पर
मोटर साइकिल वाले
जैसे घेरा बंदी कर रहे हों
इन्हें ही होती है
सबसे अधिक जल्दी
इसीलिये अक्सर
बहुत जल्दी पहुच जाते हैं
अपने अंतिम गंतब्य पर

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