मैं जब कभी
निकलता हूँ सड़क पर
अपनी पुरानी स्कूटर पर बैठ
आगे पीछे से आने वाले
चार पहिये वाले चलते हैं ऐसे
जैसे करके चले हों साजिश
घर से ही, मेरे खिलाफ
आज नहीं छोड़ना है
कुचल डालना है
जान साँसत में रहती है
सार्थक लगता है
हनुमान चालीसा और
गायत्री मंत्र का जाप
जब पहुच जाता हूँ
सकुशल गंतब्य पर
मोटर साइकिल वाले
जैसे घेरा बंदी कर रहे हों
इन्हें ही होती है
सबसे अधिक जल्दी
इसीलिये अक्सर
बहुत जल्दी पहुच जाते हैं
अपने अंतिम गंतब्य पर
sundar wyang
ReplyDeleteThanks Saroj Ji
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