सुना है जब से सलहज का बेटा गबरू है
नीद में वो बूढा बच्चों सा खिलखिलाता है
वो पड़ोसन, जिससे हमेशा चिढ़ता था
बच्चों को उसके अब खिलौने दिलाता है
मेरा दामाद यक़ीनन बहुत ही अच्छा है
रोज हाल चाल मेरा लेने चला आता है
मेरा बेटा तो नाकारा नालायक निकला
हर महीने अपनी ससुराल पहुँच जाता है
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