Saturday, September 14, 2013

मेरे दिल के सिवा रहना कहाँ आसान होगा

मेरे दिल के सिवा रहना कहाँ आसान होगा
इलाक़ा दूर बस्ती से अभी वीरान होगा

जले दिल का धुआँ छाया रहेगा जेहन पर जब
ख़ुशी पाने का फिर पूरा कहाँ अरमान होगा

अगर समझेगा अपने फ़र्ज़ को एहसान कोई
यक़ीनन सख्श वो अन्दर से बेईमान होगा

यक़ीं से सर झुका दे सामने पत्थर के भी जो
मकीं दिल में उसी इंसान के भगवान होगा

हमारी रूह जिस दिन जिस्म से लेगी बिदाई
वो मंजर देखकर रब भी बहुत हैरान होगा

रखा है क्या किसी ने हाथ दुखती रग पे तेरी
भले दुश्मन लगे वो साहिबे ईमान होगा

ज़हन्नुम और ज़न्नत हैं इसी दुनिया में क़ायम
मिलेंगे जब खुदा की ओर से फरमान होगा

No comments:

Post a Comment