Saturday, July 6, 2013

आँखों में तुगियानी देख

आँखों में तुगियानी देख 
फिर उनमे हैरानी देख 

साए को भी छीन लिया 
तम की कारस्तानी देख 

क़ुदरत ने आगाह किया 
फैजे ना-फ़रमानी देख 

नौपैदा को रोने दे 
चेहरों पर नूरानी देख 

अफसुर्दा जो चेहरा है 
उस पर लिखी कहानी देख

वो खुद पर भी हंसता है 
पागल की नादानी देख 

पहले से है गोर खुदी 
रिश्तों की उरियानी देख 

हाथ दिया है क़ुदरत ने 
अपना दाना-पानी देख 

रानी पर है फ़िदा गुलाम 
ये रिश्ता लासानी देख 

सच के रोने धोने दे 
हंसती बे-ईमानी देख 

खुद को राजा कहता है 
मन की ये मनमानी देख


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