आँखों में तुगियानी देख
फिर उनमे हैरानी देख
साए को भी छीन लिया
तम की कारस्तानी देख
क़ुदरत ने आगाह किया
फैजे ना-फ़रमानी देख
नौपैदा को रोने दे
चेहरों पर नूरानी देख
अफसुर्दा जो चेहरा है
उस पर लिखी कहानी देख
वो खुद पर भी हंसता है
पागल की नादानी देख
पहले से है गोर खुदी
रिश्तों की उरियानी देख
हाथ दिया है क़ुदरत ने
अपना दाना-पानी देख
रानी पर है फ़िदा गुलाम
ये रिश्ता लासानी देख
सच के रोने धोने दे
हंसती बे-ईमानी देख
खुद को राजा कहता है
मन की ये मनमानी देख
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