किसी रूह का अक्स पाना है मुश्किल
ये फ़न आईने को सिखाना है मुश्किल
छुपा लो भले ग़म के आंसू जहां से
मसर्रत के आंसू छुपाना है मुश्किल
है आसां बहुत इश्क में फतह पाना
मसर्रत के आंसू छुपाना है मुश्किल
है आसां बहुत इश्क में फतह पाना
मगर रश्के राक़िब कमाना है मुश्किल
फज़ीलत की है भूख हर आदमी को
मशीयत बिना इसको पाना है मुश्किल
बुझा बारहा जा के मग्रिब में सूरज
मगर हसरतों को बताना है मुश्किल
जो हैं बे'तअस्सुब अमल से लबालब
उन्हें ज़ातो मज़हब सिखाना है मुश्किल
वो दाराए खल्क़ आज़माता है सबको
हर इक का मगर पार पाना है मुश्किल
इसी बात से तू परीशां है शायद
कि मुश्किल को आसां बनाना है मुश्किल
कसीरुस्समर है खुदा की मुहब्बत
इसे संगदिल में उगाना है मुश्किल
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