Friday, March 1, 2013

है तेरे ही करीब खुदा तू तलाश कर

मिलता है वो नसीब से हर सू तलाश कर
है तेरे ही करीब खुदा तू तलाश कर
बूढ़े शजर में आने लगीं कोंपलें नयी
इस दश्त में है कौन सा जादू तलाश कर

दामन तो तार तार हैं सब के ही इश्क में
अब कुछ नए से तंज़ के पहलू तलाश कर

मुर्दा लबों से चीख सी उठने लगी है अब
क़ब्रों से उग रहे हों वो बाजू तलाश कर

कर के मुझे जो क़त्ल हो के खुद पे शर्मसार
होता नहीं हो लाल वो चाक़ू तलाश कर

उम्मीद कर रहा है तुझे कह दूं बावफ़ा
दिन को कहे जो रात वो बुद्धू तलाश कर

जो बह गए वो अश्क मेरे धूल में मिले
आँखों में ज़ज्ब हैं जो वो आंसू तलाश कर

आदम की ज़ात हूँ तू मुझे आदमी ही कह
मुस्लिम न मुझमे ढूंढ न हिन्दू तलाश कर

रहने लगे उदास सितारे फलक पे अब
बेहतर है तू ज़मीन पे जुगनू तलाश कर

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