Wednesday, February 20, 2013

किनारों के बिना दरिया बहा दो


बहुत दम है तो ये करके दिखा दो
किनारों के बिना दरिया बहा दो

भले हंस लो मेरी नाकामियों पर
नहीं डूबे जो वो सूरज उगा दो

खिला है सेह्न में जो चाँद मेरे
उसे तुम सेह्न से अपने हटा दो

नहीं बर्दाश्त है सच आईने का
उसी में अक्स उसका ही बना दो

जमाने की बहुत पर्वा है तुमको 
जमाने को यकीं इसका दिला दो 

जो बच्चा रूठ कर बैठा हो माँ से
उसे गर हो सके तो तुम हंसा दो  
गुमां है अपने सरमाये पे तुमको
किसी खुद्दार की गर्दन झुका दो  





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