Wednesday, July 27, 2011

अवधी घनाक्षरी

कजिया सबेरे वाली संझिया क बरसात 
बड़ा दुःख दे थ भैया ए से रह बचि के 
देवरानी औ जेठानी झगडा कर थीं ए पे 
हमरे के थोर थोर अपने के गचि के 
बड़ी बड़ी बतिया त लोगवा बिसारि दे थ
छोट छोट बतिया पे लड़ थ हुमचि के 
अइसईं घरवा क होई जा थ सत्यानास 
रह प्रेम से औ जीय जिनगी खमचि के 

के के बदे बनवत हउ भौजी टिल्ला बुल्ला 
डाकटर भैया अब लौटि के न अइहें  
ओनके त दिल्ली वाली बिल्ली पालि लिहे बाटै
अब त तोहइ छोड़ि उही संग राहिहें
बाबू माई खटि खटि ओनके पढ़ाई दीहें
ओनहू क अहसान लग ता भूलइहें
काहे भूलि जा थ लोग घर परिवरवा के
परे जौ बिपति कौनौ एही काम अइहें







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