Sunday, July 24, 2011

मुझको अँधेरा दे दिया

रोशनी के नाम पर मुझको अँधेरा दे दिया
खो गयी पहचान मेरी वो सबेरा दे दिया

कौल में था आशियाँ उसने निभाया ही नहीं
दर बदर करके मेरी किस्मत को फेरा दे दिया

हम जहां आबाद हैं वो है निशानी बाप की
वो समझता है हमें साँपों का डेरा दे दिया

तूने मेरी आँख में बेसाख्ता आंसू दिए
मैंने भी आँखों में तेरी अक्स तेरा दे दिया

देख तू अपने को अपनी ही नज़र से सुब्हो शाम
ठोंक ले तूं पीठ अपनी, हाँथ मेंरा दे दिया

शेष धर तिवारी

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