Sunday, March 6, 2011

होली ..... क्रमशः


होली ..... क्रमशः 

कोई हमको ताऊ कहता कोई अंकल चाचा, हम क्या बूढ़े हैं 
जांचे परखे बिन होता क्यूँ ऐसा अत्याचार जोगीरा स र र र

गीली गीली रंग सनी जब निकले गोरी घर से अपने, होरी को 
मन पर दबी हुई इच्छाओं का होता अधिकार जोगीरा स र र र 

देवर तकता भौजाई की गीली सारी से चिपकी गीली अंगिया 
सोचे मन ही मन कब होगा उसका बेड़ा पार जोगीरा स र र र 

अब की तो मंहगाई ने तोड़ी है कमर सभी की, चलो करें वादा 
अगली बार बनेगी अपनी बहुमत की सरकार जोगीरा स र र र 

कुछ भी कर लो, असर नहीं होगा सरदार, किसी पर, जनता समझ गयी 
मैडम को तो अभी तलक है कलमाडी से प्यार जोगीरा स र र र 



अबकी दारू खूब चलेगी जब होगा अगला चुनाव 

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