खुशियाँ दे कर मैं गम लूँ मुझको दुनिया लाचार कहे
मेरा सुख क्या समझे नादां जो मुझ को बेजार कहे
दुनिया को जो धोखा देते उनकी पूजा होती है
हम कैसे इस बात को मानें कहने को संसार कहे
बिन सोचे समझे जो लिखते, बस तुकबंदी कर देते
मुझ जैसा अदना उसको साहित्यिक अत्याचार कहे
उसका सुख मेरा भी सुख है उसका दुःख मेरा दुःख है
इक दूजे पर हम हों अर्पण मन का इक इक तार कहे
बच्चे गर वो कर जाएँ जिसकी अभिलाषा मन में हो
तो हर कोई खुश हो अपने सपने को साकार कहे
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