जो मुझको देख घूँघट आपने सरका दिया होता
तो मेरी हर वफ़ा क़े क़र्ज़ को चुकता किया होता
नहीं मरता है कोई भी किसी क़े रूठ जाने से
मुझीसे रूठ कर इस बात को झुठला दिया होता
लगे जब आग गुलशन में, पतंगे तब कहाँ रुकते
चले जाते मगर ये फलसफा समझा दिया होता
नहीं हैं आप मेरे बात ये मैं मान लूं कैसे
भले गैरों में ही पर आपने चर्चा किया होता
तुम्हे भाती है रोने और हंसने की जुगलबंदी
तो मेरी हर वफ़ा क़े क़र्ज़ को चुकता किया होता
नहीं मरता है कोई भी किसी क़े रूठ जाने से
मुझीसे रूठ कर इस बात को झुठला दिया होता
लगे जब आग गुलशन में, पतंगे तब कहाँ रुकते
चले जाते मगर ये फलसफा समझा दिया होता
नहीं हैं आप मेरे बात ये मैं मान लूं कैसे
भले गैरों में ही पर आपने चर्चा किया होता
हमें ये शौक अपना ऐ खुदा बतला दिया होता
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