देश की जनता मुसीबत में अगर मिल जायगी
चाह लेंगे हम अगर तो ये जमी हिल जायगी
देश के जन जन से औ कण कण से मुझको प्यार है
ये कहे तो देश द्रोही की जुबां छिल जायगी
जब पढ़ेगा गम खुशी कितनी लिखी तकदीर में
जानता हूँ सोग की गिनती अधिक मिल जायगी
एक पल की बदगुमानी टीस देती उम्र भर
जीत लो इस पल को गर किस्मत तेरी खिल जायगी
आजमाइश बंद कर दे अब तो मुझ पर ऐ खुदा
"शेष" को हर इम्तहां में फिर फ़तह मिल जायगी
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