जब तक हमारी आँख पे पर्दा पड़ा होगा
बन क़े हमारा रहनुमा तू ही खड़ा होगा
सूरजमुखी गर खुद से सीख जाएगा खिलना
सूरज किसी कोने छुपा क़े मुह खड़ा होगा
हमको हमारी जात बताने का शुक्रिया
तुमको तुम्हारी जात का टोटा पड़ा होगा
क्यूँ तुम बताते हो किसी की भूख कितनी है
अबकी मुकाबला क्या जादा कड़ा होगा
मेरी कमाई पर तुम्हारी है नजर लेकिन
अपनी जमा पूजी पे हंगामा खड़ा होगा
भूखा मरे कोई तुझे क्या फर्क पड़ता है
गोदाम अन्नों से भरा तेरा सडा होगा
चिंगारी जलाने की ज़रूरत है
ReplyDeleteसुदर अभिव्यक्ति