Monday, January 10, 2011

मैं झूठ बोलता हूँ

ऐ दोस्त मेरे, मिला न कुछ तेरा हाल चाल
तू खुश तो है, बच्चे तेरा रखते तो हैं ख़याल
मैं स्वस्थ हूँ और ठीक हूँ, चिंता न करो तुम
ईश्वर करे ऐसे ही सदा सुखी रहो तुम
मैं चैन से सोता हूँ, बेफिक्र सारी रात
घर मेरे होती सदा ही खुशी की बरसात
मैं दे न सका खुशियाँ बच्चों को बेशुमार
मैंने कभी नहीं लिया इनके लिए उधार
पर बच्चे मेरा बहुत ही ख़याल रखते हैं
पोतों को मेरे पास ही हर हाल रखते हैं
भाई तो मेरे, मुझसे कुछ माँगते नहीं
देते हैं मना करो तो भी मानते नहीं
बीबी तो मेरी मस्त है, अपने ही हाल में
उसको क्या फिकर खोये मेरे ख़याल में
सब रिश्तेदार लेते हैं बराबर हाल चाल
मिलजुल के सब रखते हैं बूढ़े का ख़याल
तुम से क्या छुपा यारा, सब जानते हो तुम
बचपन के दोस्त हो, मुझे पहचानते हो तुम
इसके आगे और कुछ मैं लिख नहीं सकता
तकिये के सहारे देर तक टिक नहीं सकता
तुम ही तो हो, मैं जिससे हर राज़ खोलता हूँ
तुम जानते हो, कितना "मैं झूठ बोलता हूँ "

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