Sunday, January 9, 2011

कौरव का संहार करो

मेरे मित्रो आज लिखो कुछ ऐसा तुम हुंकार भरो
ॐ शान्ति बहुत हुआ अब शब्दों में अंगार भरो 
समय आ गया अब माता सीता का हरण नहीं होगा
अब तो रावण का उसके सिंघासन पर संहार करो 
तुम्हे किया मजबूर घास की रोटी ही जब खाना है 
बन जाओ राणा प्रताप चेतक अपना तैयार करो
बनो भाइयों बीर शिवा जी खड्ग म्यान से खीचो तुम 
बहनों झांसी की रानी बन दुश्मन का प्रतिकार करो 
हिरनकश्यप घूम रहे अब गली गली खोजो इनको
बन चंडी तुम बधो इन्हें अब इनका भी उद्धार करो  
शर शैया पर लेट पितामह देख रहें हैं चुप सब कुछ
संजय बन न कथा सुना ध्रितराष्ट्र पे सीधा वार करो
गांधारी का पुत्र मोह ले डूबेगा हमको तुमको
दुर्योधन की कुटिल चाल को समझो, सपने तार करो 
अभिमन्यु से कब तक घिरे रहेंगे चक्रब्यूह में हम
बन अर्जुन अब मोह तजो दुश्मन पर बाण प्रहार करो  
मामा शकुनी खेल खेल में लूट चुका है हम सब को 
लेकर सब चम्पत हो इससे पहले इस पर मार करो 
अब अपने भारत में फिर से होगा नहीं महाभारत 
लक्षागृह जलने से पहले कौरव का संहार करो  

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