मैं ही भगिनी मैं ही भार्या मैं जननी बन आई हूँ
जो चाहे कह लो मैं अपने साजन की परछाई हूँ
जोहूँ उनकी बाट बिछाऊँ पलकें उनकी राहों में
मेरा सारा दर्द मिटे जब सिमटूं उनकी बाहों में
कौन राम है कौन कृष्ण है मैं तो इनको न जानू
मेरे तो आराध्य देव मेरे प्रियतम हैं ये मानू
क्या बतलाऊँ कैसे साजन बिन हैं मेरे दिन कटते
मेरी तड़प सही न जाती देख मुझे बादल फटते
मेरी जुल्फें देख घनेरे बादल कारे हो जाते
मैं जिसकी भी ओर निहारूँ वारे न्यारे हो जाते
मेरा तेजस मुखमंडल सूरज को भी शर्माता है
दावा सूरज का झूठा वो चंदा को चमकाता है
चंदा होता दीप्तिमान बस देख हमारा ही मुखड़ा
दिन मेरा अहसानमंद अँधियारा रोता है दुखड़ा
कांति-श्रोत हैं मेरे प्रियतम मैं तो बस परछाई हूँ
तन-गागर में प्रियतम-प्रेम-सुधा भरकर बौराई हूँ
मेरे मन की अमराई में प्रेम-सिक्त हैं बौर खिले
साजन से बस मेरे साजन मुझे न कोई और मिले
No comments:
Post a Comment