Wednesday, December 1, 2010

उनके आँसू हकीकत बताते रहे

वो रहें खुश सदा हम मनाते रहे
हम तो काँटों से रिश्ता निभाते रहे

हो न जाए कोई फूल घायल कहीं 
इसलिए उनसे दामन बचाते रहे 

मैंने की कोशिशें भूल जाने की पर 
बारहा वो मुझे याद आते रहे 

करके बर्बाद दुनियाँ मेरी, संगदिल 
जश्ने आबादी अपनी मनाते रहे 

मैंने वादा किया था, निभाऊंगा ही 
कब कहा ऐसा, कहके सताते रहे  

आज मुझसे लिपट कर वो रोये बहुत 
मुझसे अब तक हकीकत छुपाते रहे 

करना ज़ज्बात काबू में आसां नहीं 
उनके आँसू हकीकत बताते रहे 


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