Wednesday, December 1, 2010

संकरी है प्रेम गली

संकरी है प्रेम गली
जाने वाले इतने इसमें 
सब को मंजिल न मिली 
संकरी है प्रेम गली


नज़र-ए-बद से बच पाए 
कोई सूरत न मिली 
संकरी है प्रेम गली


कान्हा को पत्नियाँ चार
प्रेमिका एक राधा मिली 
संकरी है प्रेम गली


प्रेम का कारण आकर्षण 
चाहने से प्रेमिका न मिली 
संकरी है प्रेम गली


प्रेम की सीमा मर्यादा 
जिसने लांघा सजा मिली 
संकरी है प्रेम गली


अकेले सच ही जीता 
झूट को जिंदगी न मिली

संकरी है प्रेम गली


प्रेम की चाहत-समर्पण 
वासना को जगह न मिली 
संकरी है प्रेम गली

द्वैत अद्वैत में रहे उलझे 
अपनी परिभाषा न मिली 
संकरी है प्रेम गली


आत्मा परमात्मा मिलन
प्रेम को परिभाषा मिली
संकरी है प्रेम गली 

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