Tuesday, December 28, 2010

पुस्तक खुली हुई

मेरी वफ़ा देखो, उनकी जफ़ा देखो
फिर भी मनाते हम, वो हैं खफा देखो


है ज़िंदगी मेरी, पुस्तक खुली हुई
पूरी नहीं बस तुम पहला सफा देखो


धरती जहाँ मिलती अम्बर उसे चूमे
दम हो अगर जाओ, उनकी वफ़ा देखो


तुम रो रहे हो क्यूँ उनसे जुदा होके
माँ की तरफ अपनी तुम इक दफा देखो


बच्चा खड़ा गुमसुम मीजे पड़ा आँखें
तुमसे नहीं बोला, वो है खफा देखो


सम्बन्ध हों मीठे, भरसक निभाओ तुम
ढोना लगे भारी, घाटा नफा देखो

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