Monday, December 27, 2010

आइनादारों की बस्ती

हम उनके सेहन-ए-गुलशन में कभी सोया नहीं करते 
खुदी को हम मुहब्बत के लिए खोया नहीं करते 

रहे हैं आज तक हम आइनादारों की बस्ती में 
छुपा के दोस्तों से आँख हम धोया नहीं करते 

चले जाओ अगर तुम भी, नहीं हैरानगी होगी
कराओ तुम हमें चुप, सोच के रोया नहीं करते 

मुझे लूटे कभी कोई नहीं मुमकिन कहीं से भी 
कि आँखें मूद कर हम बेखबर सोया नहीं करते 

रहाइश तो उन्ही के साथ होती रात दिन लेकिन 
समंदर साहिलों में जिन्दगी बोया नहीं करते 

1 comment:

  1. शानदार प्रस्तुति बड़े भाई

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