फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन
गुलों की सजी लाल क्यारी मुहब्बत
खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
जहाँ में सभी लोग हारे इसीसे
सदा ही खुदी से है हारी मुहब्बत
इसी दम पे गम को सहे जा रहे हैं
की होगी कभी तो हमारी मुहब्बत
जहाँ में रहे हैं कई लोग कायम
कभी भी जिन्होंने न हारी मुहब्बत
हुई बंद साँसे मगर प्यार जिन्दा
रटे जा रहे मेरी प्यारी मुहब्बत
वो लैला वो मजनू वो फरहाद शीरी
रहेगी सदा इनपे वारी मुहब्बत
चलो देख लें आज माज़ी को इनके
हमें कुछ मिले जानकारी मुहब्बत
रहें हैं खड़े बांह फैला कभी से
भरें बाजुओं में हमारी मुहब्बत
मुहब्बत क़े पहलू अभी और भी हैं
कहाँ हमने देखी संवारी मुहब्बत
जवाँ जो बता क़े गया कान में है
उसी को निभाती बिचारी मुहब्बत
भरेगा खुशी वो जमाने की माथे
रही गुनगुना आसवारी मुहब्बत
वो सीमा पे सैनिक खड़े तान सीना
लहू माँग में जिनका धारी मुहब्बत
सुहागन बनी है ये धरती अभी तक
जवानो ने खूं से संवारी मुहब्बत
जवानो क़े अपने ही परिवार वाले
रहे पाल कितनी कुंवारी मुहब्बत
इन्ही से सलामत हमारी मुहब्बत
चलो दें इन्हें ढेर सारी मुहब्बत
मोहब्बत कहानी लगे दिलजलों को
हमें तो पियारी हमारी मुहब्बत
दिखाया था मुझको कई बार सपना
उसी एक सपने पे वारी मोहब्बत
महीनो किया था मुहब्बत का पीछा
तभी तो हुई थी हमारी मुहब्बत
लिया था जो पहचान कोयल को खोथे
तो कौए को लागी दोधारी मुहब्बत
नहीं पालता माफ़ करता न खुद को
हुई पाल क़े भी बेगारी मोहब्बत
नयी पौध को देख कर लहलहाते
किया याद हमने हमारी मुहब्बत
दिलों में जगा दे मुहब्बत सभी क़े
हमें चाहिए ऐसी प्यारी मुहब्बत
नयी दुल्हनो क़े खयालों जगी जो
दुलारी है कितनी पियारी मुहब्बत
छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे
लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत
भरी दोपहर में थका सा दिखूं तो
जबीं पोंछ मेरी निहारी मुहब्बत
No comments:
Post a Comment