मैंने जो छुप क़े रो लिया अच्छा नहीं किया
उसने भी रो के हँस दिया अच्छा नहीं किया
मुझको सुनानी चाहिए थी जो ग़ज़ल पहले
महफ़िल में तूने गा दिया अच्छा नहीं किया
तुमको ही याद करके रो रहा था जार जार
तुमने जो मुस्करा दिया अच्छा नहीं किया
मैंने तेरे गुमान पे सबको भुला दिया
तुमने मुझे भुला दिया अच्छा नहीं किया
मैं तो चला ही जा रहा था छोड़ के दुनियां
तुमने मुझे बुला लिया अच्छा नहीं किया
मैं कर रहा था कोशिशें तुमको हँसाने की
तुमने मुझे रुला दिया अच्छा नहीं किया
No comments:
Post a Comment