Wednesday, December 8, 2010

आवाहन

आवाहन

कहीं ऐसा ना हो ये देश कब्रिस्तान हो जाए
जरूरी है कि अब ठंढी हवा तूफ़ान हो जाए

रहोगे कब तलक सोते ही अब तो नीद से जागो
ना हो ऐसा तुम्हारी सुब्ह ही वीरान हो जाए

करो अब याद अल्लाह राम गुरु को और ईसा को
उठा लो शस्त्र अपने उनका भी सम्मान हो जाए

तुम्हारे घर में बैठा है अभी तक बन क़े जो भाई
ज़रा अब आँख खोलो उसकी भी पहचान हो जाए

किसी भी जाति क़े हो धर्म क़े हो लाल हो माँ क़े
समय अब आ गया तू देश पर कुर्बान हो जाए

अगर अब भी न चेते तो, हमारे देश क़े दुश्मन
कहीं ऐसा न कर दें ये जमी शमसान हो जाए

सपूतों देश क़े मिल क़े सभी बन जाओ तुम अर्जुन
उठा गांडीव फिर से आज सर-संधान हो जाए

खुद अपनी रूह को हैवान ने है मार ही डाला
बचेगा एक ही सूरत कि वो इंसान हो जाए

रहा है चाट अपनी जीभ बहशी खा क़े बच्चों को
नहीं बर्दाश्त अब तो जंग का ऐलान हो जाए

हमारी है ये कोशिश चोट न पहुचे किसी को भी
दुखी हो जो उसे सच्चाई का संज्ञान हो जाए

समझते हैं नहीं कुछ लोग अपने घर को अपना घर
ये हो जाए तो हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान हो जाए

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