Wednesday, November 3, 2010

ऐसी हो अब की दीवाली

अँधेरा मिटाने को एक दीप मेरा भी
हौसला बढेगा गर साथ मिले तेरा भी 

ढूंढें हर उस घर को जिसमे अँधेरा हो 
रख दें एक दीप वहाँ तेरा या मेरा हो 

रीती आँखों में खुशियाँ थोड़ी भर दें
मुस्काये हर चेहरा ऐसा कुछ कर दें

हर घर में एक राम राजा बन जाए
हर घर अयोध्या हो खुशियाँ मनाये

राम करे ऐसी हो अब की दीवाली
जितना भी बाँटें पर जेब हो न खाली 






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