जिनसे दो बोल हलावत से न कहा जाए
हो गया दूर मैं तुम्हारी जिन्दगी से ही
जिसको आना हो वो पास तेरे आ जाए
रखना दूर जरा अपने को तुम अपने से
न हो ऐसा कि आने वाला भी चला जाए
तन्हाई तुम्हारी करती है मुझे खौफज़दा
सोचता हूँ कि क्यूँ न साथ ही रहा जाए
मुझे अपनी नहीं परवाह, पर तुम्हारी है
सब्र तेरा कहीं तुमको ही न ठुकरा जाए
हम तुम्हे जानते न होते तो चुप हो जाते
कहीं गम तेरा मेरी मुश्किल न बढ़ा जाए
याद करता हूँ जब गुजरे हुए जमाने को
दिल मेरा कहता है अब दूरी को भरा जाए
चलो हम फैसला आज एक कर ही लेते हैं
रहें. गुस्से. में चुप पर साथ ही रहा जाए
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