क्या आपने देखा है आत्मदाह ?
मैंने देखा है
हर विजय दशमी पर
देखा है कि रावण ही
जलाता है रावण को
और देता है भाषण
करता है एलान
हो गयी जीत
हो गयी जीत
बुराई पर अच्छाई की
मन ही मन मुस्कराता है
कि मैं तो जिन्दा हूँ मूर्खों
तुम्हारी कृपा से
वरना राम ने तो मुझे
मुक्ति दे ही दी थी
मुझे जिन्दा रखना
तुम्हारी मजबूरी है
तुम्हे प्रतिदिन करना है
सीता हरण
बनाते ही रहना है अपनी लंका
और करते रहना है पोषण
अपने मेघनाथों का
तुम आश्वस्त हो कि अब
न आएगा कोई पवन पुत्र
न कोई राम
अब तो सारे जहाँ में रहेगा बस
रावण ही रावण
करते रहोगे ये नाटक
और देते रहोगे नया जीवन
मरने नहीं दोगे तुम मुझे
और व्यर्थ करते रहोगे
मेरी हर कोशिश
मुक्त होने की
मन ही मन प्रसन्न होगे
सोचकर कि
रावण जिन्दा है
हे राम! जाने कब मिलेगी मुझे मुक्ति
हे राम! जाने कब मिलेगी मुझे मुक्ति
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