सोच कर लिखना तो कविता गढ़ने जैसा होता है
मौलवी के खौफ से कुछ पढने जैसा होता है
देख दुनिया की अधूरी ख्वाहिशों के ढेर में
तेरा भी एक ख्वाब टूटे तारे जैसा होता है
ले लिया हमने भी उनसे आज इक वादा नया
अब नहीं पूछेंगे, यारा प्यार कैसा होता है
देखते होंगे हमेशा आप सपने नीद में
सोने न दे मुझको, मेरा सपना ऐसा होता है
चाँद से चेहरे को तेरे चूमना चाहूँ, मगर
तारों की आँखों में कुछ कुछ बहम जैसा होता है
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