Sunday, October 10, 2010

मेरी सोच

सोच कर  लिखना तो  कविता गढ़ने जैसा होता है
मौलवी  के  खौफ  से  कुछ  पढने  जैसा  होता  है 

देख दुनिया की अधूरी ख्वाहिशों के ढेर में
तेरा  भी  एक ख्वाब टूटे तारे जैसा होता है 

ले लिया हमने भी उनसे आज इक वादा नया
अब  नहीं  पूछेंगे, यारा  प्यार  कैसा  होता है 

देखते  होंगे  हमेशा  आप  सपने  नीद  में 
सोने न दे मुझको, मेरा सपना ऐसा होता है 

चाँद  से  चेहरे  को  तेरे  चूमना  चाहूँ, मगर  
तारों की आँखों में कुछ कुछ बहम जैसा होता है

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