उस देश का तो भैया कुछ हो नहीं सकता
जिस देश का हो सारा सिस्टम गला हुआ
करते ही जा रहे हैं वो कोरी सी बकवास
सारा का सारा जुमला पहले चला हुआ
उस देश का अवाम तो गुमसुम अवाक है
पाता है अपने आपको जैसे छला हुआ
किस पर करे यकीन और किस पर न करे
है कशमकश में जैसे दूध का जला हुआ
मिलती है इमदाद कही से तो यूँ लगे
जैसे पुराने मुक़दमे का फैसला हुआ
बदले में दे दिया है पडोसी से दुश्मनी
मीठा दूध कहा दे दिया नमक डला हुआ
कुछ सूझता नहीं अब सियासतदानो को
बादलों के पीछे जैसे सूरज ढला हुआ
हसरत से हमें देखती अवाम तो लगे
हो अपना खून पडोसी के घर पला हुआ
समझ गए हैं हम भी उनका मिजाज़ है
जैसे करेला नीम के ऊपर फला हुआ
लो सबक पडोसी कुछ बिगड़ा नहीं अभी
दुश्मनी से आज तक किसका भला हुआ
वर्ना फिरोगे दर बदर छिपाते हुए मुँह
खुद ही मुँह पे जैसे कालिख मला हुआ
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