मेरी चादर
फट गयी आज
फँस कर मेरे ही अंगूठे में
सच कहता हूँ
फैलाये थे पैर मैंने
चादर के हिसाब से ही
पर क्या करूँ इन पैरों का?
बड़े हो गए,
वक़्त के साथ
कैसे करता बड़ी
चादर को मैं?
फट गयी आज
फँस कर मेरे ही अंगूठे में
सच कहता हूँ
फैलाये थे पैर मैंने
चादर के हिसाब से ही
पर क्या करूँ इन पैरों का?
बड़े हो गए,
वक़्त के साथ
कैसे करता बड़ी
चादर को मैं?
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