Friday, September 10, 2010

कविता की फैक्ट्री


एक  फैक्ट्री
कविता बनाने की
आवश्यक रा मैटेरिअल है उपलब्ध
काफी मात्रा में
हमारे चारो ओर
बिना नंबर प्लेट के
और बिना हेलमेट के
सड़क पे फर्राटा चलते
रौबदार पुलिस वाले,
चौराहे पे लगी
मूर्ति पर हगते कौवे,
बच्चों की पीठ पर भारी बस्ते,
थानों के चक्कर लगाते बेकसूर लोग
मकान मालिक से त्रस्त किरायेदार
किरायेदार से त्रस्त मकान मालिक
दुखी गाँव के लोग-
कभी सूखे और कभी बाढ़ से
सब ठीक रहे तो लहलहाते खेत
पोखरे का पानी
उसमे नहाती ग्रामीण युवतियां
गाँव की राजनीति
गाँव का चौपाल
प्रचलित मुद्दे
जैसे महगाई और बेरोजगारी  
वोट की राजनीति
मीडिया की मनमानी
भ्रष्टाचार, कालाधन
अन्ना का अनशन
सिब्बल की गर्दन
दिग्गी के भाषण
............
क्या क्या गिनाऊँ
बस यूँ समझिये कि
आपके चारो तरफ घूम रहे हैं
कविता के विषय 
आवारा पशुओं  की तरह 
पकड़िये और बाँध लीजिये खूंटे से
कंट्रोवर्सी  के लिए अगर चाहें तो
भैंस को कह दें
मुलायम सिंह का चलता फिरता इश्तेहार
क्या होगा? कुछ नहीं, आखिर आप कवि  हैं
कुछ भी लिखें किसी का नाम लेकर
अधिक से अधिक बैन लग जायेगा
ऐसा हो गया तो हो गए आप मशहूर 
रातो रात  
बैन तो लगा था
कौल साहब की “द अनटोल्ड स्टोरी” पर भी  
पर पढी गयी छुप छुप के
दुगुने दामो पर खरीद कर  
कभी कभार एक दो लाइन पार करो
किसी नामी गिरामी
कवि या शायर की
चिपका दो अपनी कविता में
क्वालिटी तो चाहिए न
सीख जायेंगे धीरे धीरे
कंटेंट ट्रांसफर टेक्निक भी
फिर तो बॉस बन गए आप
एक स्थापित कवि
यदि फिर भी कमी खले तो
इस नाचीज़ को सेवा का मौका दें
मिलेंगी सभी सुविधाएँ, मेरी फैक्टरी  में 
एक विषय पर तीन प्रोटोटाइप  देंगे
प्रूफ रीडिंग करें, जो पसंद आये रख लें
बाकि फाड़ कर फेंक दें
कुछ नहीं चाहिए
बदले में मुझे
किसी को भनक तक नहीं लगेगी 
बस इतना जरूर करें
तारीफ कर दिया करें
मेरी भी रचनाओं की
अब इतना तो हक बनता है  मेरा
तो स्वागत है हर खासो आम का
मेरी  कविता की फैक्ट्री में
मुफ्त सेवा लें और मेरी तारीफ करें

आपका टुच्चा, सारी
तुच्छ सेवक  शेष धर तिवारी 

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