बीज जैसा, होती पैदावार वैसी, सत्य है
खेत क्यों सुनते है ताने, ये बता मेरे खुदा
तूने ही पैदा किया और तू ही पालन हार है
बेल ने फिर पेड़ को ठूँठा किया क्यूँ, ऐ खुदा
मैं गरीबी में अमीरों से भी अच्छा जी रहा
फिर अमीरों की गरीबी से मरूं क्यूँ, ऐ खुदा
पकड़ कर जिनकी उंगलियाँ मैंने चलना सीखा है
आज मेरी उंगली के मोहताज़ क्यूँ हैं, ऐ खुदा
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