किसको करना चाहिए क्या, किसने क्या किया
अब वाहियात बातों पे शोर न मचा
चल निकल, अब घर में बैठा नहीं जाता
कुछ ठोस कर और अपनी खुद्दारी को बचा
उम्मीद छोड़, हो जा हकीकत से रूबरू
लगती है भूख, अपनी ही अंतड़ियाँ पचा
बैठा रहेगा कब तक औरों के भरोसे
बन खुदमुख्तार, वक़्त को उंगली पे नचा
अब वाहियात बातों पे शोर न मचा
चल निकल, अब घर में बैठा नहीं जाता
कुछ ठोस कर और अपनी खुद्दारी को बचा
उम्मीद छोड़, हो जा हकीकत से रूबरू
लगती है भूख, अपनी ही अंतड़ियाँ पचा
बैठा रहेगा कब तक औरों के भरोसे
बन खुदमुख्तार, वक़्त को उंगली पे नचा
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