Monday, September 27, 2010

त्रासदी

जी करता है
निराला, पन्त, प्रसाद, दिनकर, महादेवी
और इन जैसे सभी रचनाकारों को
एक पंक्ति में खड़ा करूँ और पूछूँ
क्यों नहीं छोड़ा 
एक भी विषय जिसपर
आज हम कुछ लिख सकते 
हँसने का विषय न रोने का विषय
पाने का विषय न खोने का विषय 
सब तो पचा गए ये खब्बू
आज का बेचारा कवि क्या ख़ाक लिखेगा 
इनकी नक़ल नहीं करेगा तो क्या करेगा 
इनकी ही नक़ल करना, मजबूरी नहीं
मुझे तो अधिकार लगता है
"बियोगी होगा पहला कवि
आह से निकला होगा गान
निकल कर आँखों से चुप चाप
बहेगी होगी कविता अनजान"
अब कोई पूछे इनसे 
यदि ये आपकी समझ में आ ही गया था
तो क्या जरूरी था
सब को बताना
आके देखो जरा, 
क्या हाल कर दिया है 
हर आँख को लाल कर दिया है 
भर दिया है आंसुओं से
की शायद कहीं से कविता निकल आये
काफी हॉउस में बैठे 
कुछ आधुनिक और महान कवि
ठंडी पड़ चुकी हाफ टी के साथ 
गहन चर्चा में लीन थे 
एक ने कहा
हम नहीं मानते कि हर सफल व्यक्ति के पीछे
एक महिला का हाथ होता है 
महादेवी जी को तो 
उनके पति ने ही बनाया महान 
न छोड़ते उन्हें तो कैसे बन जाती 
महान कवियित्री
और क्यों लिखतीं
"हृदय पर अंकित कर सुकुमार
तुम्हारी अवहेला कि चोट
बिछाती हूँ पथ में करुणेश
छलकती आँखें हँसते ओठ"
मैं रोक न पाया अपने को 
और बोल बैठा
भैया, त्याग तो अपनी पत्नी को 
और कर दो मार्ग प्रशस्त
भाग्यशाली होंगे हम
एक और महादेवी को पाके अपने बीच 
खैर .... 
जो चले गए उन्हें तो माफ़ भी कर दूं
पर आज भी कुछ पुरानी पीढ़ी के हैं 
जो लेटे लेटे ही बाकी बचा 
खाए जा रहे हैं 
और हमको मुह चिढ़ा रहे हैं 
हमने भी ठान लिया है
कवि तो बन के रहेंगे
जो तुम कह चुके हो 
उसी को फिर से कहेंगे
हमारी पीढ़ी को महारत है 
शब्दों का हेर फेर तो हम 
तुमसे अच्छा कर लेते हैं 
अपने को कवि साबित करने की जंग
जारी रहेगी
नहीं बन सके इस जनम तो 
अगले जनम तुमसे पहले आयेंगे
और हम भी मुँह चिढायेंगे
और न कर सके ऐसा 
तो तुम्हे नहीं देंगे मौका
हम खुद ही कविता कि भेंट चढ़ जायेंगे 
यदि नहीं लिख सके कविता
विषय अवश्य बन जायेंगे कविता का
और तृप्त हो जायेगी
मेरी अतृप्त आत्मा 


2 comments:

  1. Tagda jhatka diya hai bhai ...aaj ke kaviyo ki ..
    nakal karo to bachke ...thanks a lot ..

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