Wednesday, September 29, 2010

मैं झूठ बोलता हूँ

ऐ दोस्त मेरे, मिला न कुछ तेरा हाल चाल
तू खुश तो है, बच्चे तेरा रखते तो हैं ख़याल
मैं स्वस्थ हूँ और ठीक हूँ, चिंता न करो तुम
ईश्वर  करे  ऐसे  ही  सदा  मस्त  रहो  तुम
मैं  चैन  से  सोता  हूँ,  बेफिक्र  सारी  रात
घर में  मेरे होती है, खुशियों की  बरसात
बच्चे  मेरे,  मेरा  बड़ा  ख़याल  रखते हैं
पोतों को  मेरे  पास  ही हर हाल रखते हैं
मैं दे न सका खुशियाँ बच्चों को बेशुमार
मैंने कभी नहीं लिया इनके लिए उधार
भाई तो मेरे, मुझसे कुछ माँगते  नहीं
देते  हैं  हमेशा, कहो  तो  मानते नहीं
बीबी मेरी बस मस्त है, अपने ही हाल में
उसको फिकर क्या, खोये मेरे ख़याल में
सब रिश्तेदार लेते हैं बराबर हाल चाल
इस बूढ़े का मिलजुल के सब रखते हैं ख़याल
तुम से क्या छुपा यारा, सब जानते हो तुम
बचपन के दोस्त हो, मुझे पहचानते हो तुम
अब इसके आगे और कुछ मैं लिख नहीं सकता
तकिये के सहारे पर,  और टिक नहीं सकता
एक तुम ही हो, मैं जिससे हर राज़ खोलता हूँ
तुम जानते  हो, कितना "मैं झूठ बोलता हूँ "

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