Friday, September 10, 2010

जिम्मेदारी



दो सलाई शाल बुनती जा रही थीं
एक फंदा दुसरे पर डालती थी
दूसरा फंदा गले पर खा रही थी
एक बोली ये बता मेरी सखी
कब तलक हम यूँ गले मिलते रहेंगे
दूसरी का था जवाब, हौले से
जब तलक ये ऊन के गोले रहेंगे
हम तो कर पाएंगे पूरा काम अपना
एक दूजे से गले मिल कर ही बहना
हम कोई इन्सान हैं जो सोचें खुद की
हमें तो हर हाल में है शाल बुनना

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