फिर धनक में रंग भरने से रहा
कर्ब का सूरज बिखरने से रहा
जिस्म पर मरहम करो तुम लाख पर
रूह का तो घाव भरने से रहा
मौत आयेगी मुक़र्रर वक़्त पर
ले गया सारी उमीदें साथ वो
अब नसीबा ये सवरने से रहा
कर्ब का सूरज बिखरने से रहा
मार तो डाला मुझे किश्तों में पर
क़त्ल अपने नाम करने से रहा
दीनो ईमां की जिया जो ज़िंदगी
क़त्ल अपने नाम करने से रहा
दीनो ईमां की जिया जो ज़िंदगी
नाम उस इंसां का मरने से रहा
मंजिले मक़सूद मुझको दिख गयी
मंजिले मक़सूद मुझको दिख गयी
अब मैं रस्ते में ठहरने से रहा
जिस्म पर मरहम करो तुम लाख पर
रूह का तो घाव भरने से रहा
मौत आयेगी मुक़र्रर वक़्त पर
रोज मैं बेवज्ह मरने से रहा
ले गया सारी उमीदें साथ वो
अब नसीबा ये सवरने से रहा
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