Saturday, March 10, 2012

इब्ने-इन्सां से मोहब्बत हो गयी

इब्ने-आदम से मोहब्बत हो गयी 
आज इक सच्ची इबादत हो गयी 

रो पड़ा बच्चा खिलौना तोड़ कर 
हम बुजुर्गों को नसीहत हो गयी 

मान लेता हूँ कि मैं खुद्दार हूँ 
हाँ मुझे खुद से मोहब्बत हो गयी 

साहिलों को छोड़ने की सोच ले 
किस समंदर की ये जुर्रत हो गयी 

एक लम्हे क़ी खता की ये सज़ा  ?
ज़िन्दगी जैसे क़यामत हो गयी .

हिचकियों की बात पर वो हँस दिए
आरिज़ों की सुर्ख रंगत हो गयी


चांदनी में देखकर चेहरा तेरा  
चाँद को तुझसे मुहब्बत हो गयी  

देश में जम्हूरिअत अब है कहाँ 
जब विरासत की सियासत हो गयी

हो जरूरत क्यूँ मुझे गमख्वार की 
"अब तो गम सहने क़ी आदत हो गयी "

1 comment:

  1. रो पड़ा बच्चा खिलौना तोड़ कर
    हम बुजुर्गों को नसीहत हो गयी

    दिल को छू गया जी ये शेर , हम बुजुर्ग नहीं है फिर भी भाव पकड़ रहे है :)

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