Sunday, October 2, 2011


हे बापू !!
सुनते हैं ?
ई लठिया लिहे,
ठेहुनी पे धोती चढ़ा के,
कहाँ चल देते हैं सबेरे सबेरे
कौनो सुनता है आपकी?
काहे लिए सेहत खराब करते है?
रोज उतर के जाते हैं
झाँक के चले आते है

एक बार जो किये और जो पाए
लगता है पेट नही भरा

का देखने जाते हैं ?
घूम घूम के अपनी मूर्ति से
धूल झाड़ने जाते हैं का ?
और ई आज काहे लिए जा रहे हैं ?
आज तो चैन से बैठिये
जनम दिन है आपका
आज तो नेतये खुदै चमकाएँगे
झंडा फहराएंगे
भाषण देंगे
और जाने का का नौटंकी करेंगे
...................................
...................................

लौट आये, बहुत जल्दी
का बात है
काहे इतना उदास हैं
ई देखो.... टपर टपर आंसू.....
अरे हुआ का
कुछ बताएँगे
कि हमको भी रुलायेंगे
हे बापू
आपको उदास देखते हैं न
तो मन करता है
हम भी उतर जाएँ कौनो दिन
सुना दें खूब खरी खोटी

ई जो तुम्हार नाम की माला जप जप के
कुर्सिया से चिपके हैं
ई मत सोचियेगा कि हमका कुछ पता नहीं है
सब चोट्टे हैं
यही लिए रो रहे हैं न

हे बापू, अब मोह माया छोडिये न
"रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम "
ई तो आप गाते थे न
तो गाते रहिये इहाँ बैठ के
काहे जाते हैं उहाँ सुनने के लिए
"रघुपति राघव राजा राम
पता न पावैं सीता राम "

शेष धर तिवारी, इलाहबाद, २ अक्टूबर २०११

1 comment:

  1. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
    नवीन सी. चतुर्वेदी

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