Thursday, July 14, 2011

ज़िंदगी के चार दिन

ज़िंदगी के चार दिन
हैं बहुत बीमार दिन


जब नहीं अपना कोई
हैं सभी बेकार दिन


साथ हों बच्चे अगर
लो मना रविवार दिन


जब जिया जलता रहे
तो बनें अंगार दिन


देख कर तेरी खुशी
ले लिए आकार दिन


आख़िरी घड़ियों में अब
है हमी पर भार दिन


जो बिताये साथ में 
थे बहुत गुलजार दिन 


हों खुदा की रहमतें
तो कहाँ दुश्वार दिन

2 comments:

  1. देख कर तेरी खुशी
    ले लिए आकार दिन

    जो बिताये साथ में
    थे बहुत गुलजार दिन
    bahut badhiyaa...

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