Wednesday, May 4, 2011

आवाज़ दो

भले एक पल के लिए, मान कर दो   
है मौका हसीं, आओ एहसान कर दो 

अकेले कटी ज़िंदगी, जो थी मुश्किल
मेरी मौत को आ कर आसान कर दो

मेरे दिल में आबाद हैं तेरी यादें
भले मेरी दुनिया को सुनसान कर दो

अकेले जिया बेझिझक सब सहा है
अकेले मरूं न ये सामान कर दो

तू चाहे मुझे, उम्र भर था तरसता
मरूं खुश जो चाहत का पल दान कर दो 

1 comment:

  1. ज़िंदगी ज्यूँ थी हसीं मेरे बिना
    वो रहेगी वैसी ही, विश्वास दो
    bahut badhiyaa

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