Friday, April 29, 2011

गर्म है लोहा, हथौड़ा मार दो

हाँथ जोड़ आयेंगे फिर, फटकार दो
गर्म है लोहा, हथौड़ा मार दो

क्यों संपेरा फिर बनाएँ सांप को
घर पिटारे का इन्हें उपहार दो

तंग है जनता गरीबी भूख से
प्याज रोटी का उसे सत्कार दो

आँख मछली की नहीं दिखती जिन्हें
तीर क्यों उनको ही बारम्बार दो

ले लुआठी वोट की मत घर जला
मान्यवर को आख़िरी संस्कार दो

याद मुझको भी पहाडा तीन तक
मेरे हिस्से में भी भ्रष्टाचार दो

अब बुजुर्गों, हाँथ जब चलता नहीं
नौजवां को देश की पतवार दो

मैं हूँ वेटर से प्रमोटेड कैशियर
देश की पूंजी मुझी पर वार दो

1 comment:

  1. वाह ..बहुत बढ़िया ...भरपूर कटाक्ष ..

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