Thursday, April 14, 2011

अब मातम नहीं

वक़्त से अच्छा कोई मरहम नहीं
आंसुओं जैसा कोई हमदम नहीं

क्या जरूरी है मुनव्वर हम भी हों
रोशनी सूरज की सर पे कम नहीं

बाप बेटे की चिता को आग दे
इस से बढ़ कर तो जहां में गम नहीं

लूट कर हमको हँसे मुह फेरकर
वो हमारा कायदे आज़म नहीं

एक अन्ना अब नहीं थोथा चना
वक़्त की यलगार है बेदम नहीं

अजम उनका देख लो आगे बढ़ो
आप का दम भी किसी से कम नहीं

सेंक मत रोटी सियासत दान अब
हमसे ही तो तू है, तुझसे हम नहीं

शान्ति हो पर हो नहीं शमसान सी
हो खुशी चेहरों पे अब मातम नहीं

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