Tuesday, February 15, 2011

आवाहन

मैं करता हूँ आवाहन
उद्देश्य है पावन
आज से और अभी से
आप प्रण कर लें
प्रतिदिन एक हत्या करेंगे
मौका मिले तो करें बलात्कार भी
माया की छाया में
आप सुरक्षित रहेंगे
आज तक जो आपका कुत्सित मन
जमीर के नीचे दब कर कर न पाया हो
सब कर जाइए
वर्तमान के रहनुमाओं को
अपना और अपने बच्चों का आदर्श बनाइये
भूल से भी गाँधी सुभाष का न लें नाम
अन्यथा पीढ़ी बिगड जायेगी
कुछ ही दिनों में आप पूरी कर लेंगे
अपनी सारी अधूरी इच्छाएं
नाम और सोहरत पायेंगे
तिरंगे को पैरों नीचे दबाएंगे
फिर से मुद्दे पर आते हैं
पास पड़ोस में क्यों झांके
घर की इज्ज़त में ही सेंध लगाते हैं
क्या कहा? उम्र.......
भूल गए क्या?
"महाजनो यें गतः स पन्थ:"
राठोर साहब से प्रेरणा लीजिए
बेशर्मी से हँसते रहिये
ज़मीर? अरे मारिये गोली....
ऊपर वाला मजबूर कर रहा है आपको
आपका क्या दोष?
उसके पैमाने पर अभी धर्म की ग्लानि नहीं हुई है
अतः आइये हम सब मिलकर
इतना अधर्म करें
की धर्म की ग्लानि उसे दिखने लगे
और धर्म के अभ्युत्थान के लिए .
फिर से उसका अवतरण हो
यदि इश्वर-दर्शन चाहते हैं इस जीवन में
तो जम कर अधर्म करें
इश्वर के हांथो मरें
मोक्ष प्राप्त करें

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