Tuesday, November 23, 2010

आँसू

काश उसके आँसू कोई पोंछता
आँसुओं से अपने घायल हो गया
देर तक रोता रहा फिर हँस पड़ा
लगता है वो सख्स पागल हो गया


एक बूँद आँसू को कह दिया मोती, और
आँसुओं की धार को दरिया की रवानी
आँख से जिनके गिरे उनसे तो पूछिए
आँसुओं की होती क्या इतनी सी कहानी

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