चिंतन
ग़ज़ल और कवितायेँ
Monday, September 13, 2010
भ्रूण हत्या
सच कहता हूँ बहुत एक दिन रोएगी ये दुनियाँ सारी
गर आने से पहले ही वापस जायेगी बिटिया प्यारी
कुछ तो सोचो, कैसे तुम आये हो इस संसार में
क्या बिटिया के बिना कभी होगी बरक़त घर बार में
वक़्त रहते न चेता तो कहाँ जायेगा
बेटी तेरी नहीं, जमाने का सहारा है
मुह छुपाने को, हथेलियाँ छोटी होंगी
जानेगा जब, तू बेटी को बहुत प्यारा है
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