Monday, September 20, 2010

मेरी माँ

तुमने कभी बताया नहीं जा रही हो तुम
तुमने कभी न कहा मुझे अलविदा ओ माँ
मैं जान सकूँ इससे पहले ही चली गयी
इश्वर ही जानता है ऐसा क्यूँ हुआ ओ माँ 
  
जिन्दगी में हर सू तुझको चाहा मैंने
रोया मैं  तेरे लिए जाने कितनी बार
प्यार मेरा ही अकेला गर  बचा सकता 
मौत से मैं तुझको छीन लेता बार बार  

मैंने सच्चे दिल से तुम्हे प्यार किया माँ
इतना की कोई और कभी कर नहीं सकता 
दिल में मेरे तेरी एक जगह बनी है 
 इस जगह को कभी कोई भी भर नहीं सकता 

खोया तुझे तो दिल के टुकड़े हुए कितने
पर तू अकेले ही न गई मुझको छोड़ कर 
मेरे भी कई हिस्से गए साथ में तेरे
इश्वर ने ले लिया जिस दिन मुझसे छीन कर 

बहुत प्यार करता हूँ 
मेरी माँ 

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