चिंतन
ग़ज़ल और कवितायेँ
Sunday, September 12, 2010
ईद मुबारक
कोई सैयद बने, मिर्ज़ा बने, पठान बने
उससे पहले वो एक सच्चा मुसलमान बने
ईद पर अब की खुदा से ये दुआ मांगूंगा
तेरा हर बन्दा एक मुकम्मल इंसान बने
ईद पर देता हूँ दुआ, मैं यही सबको
दीद हो दिलदार की तुमको, खुदा करे
काश मेरी भी तमन्ना हो जाये पूरी
मेरे लिए भी कोई, ऐसी दुआ करे
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