Saturday, June 2, 2012

अगर भाई चारे की बुनियाद होगी

अगर भाई चारे की बुनियाद होगी
यकीनन खुशी घर में आबाद होगी

लगे यूँ जमीं पर उतर आया सूरज 
क्या दुनियाँ हमारी ये बर्बाद होगी ?

मैं हूँ मुत्तहम पर सहे जा रहा हूँ   
सजाओं कि कोई तो मीआद होगी 

जमीं पर कदम गर नहीं हैं तेरे अब 
तो मंजिल तेरी बागे शद्दाद होगी

जो "मैं" को ही मिलती रहेगी तवज्जोह 
अना ही अदीबों की उस्ताद होगी 

अमर जो हर इक माँ को कर दे जहां में 
कभी तो दवा ऐसी ईजाद होगी 

जो गज़लों को सुनकर बना ऐब चीं है 
ग़ज़ल की वो अपनी ही औलाद होगी 


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